शिकंजा: जानिए मुजफ्फरनगर से अरेस्ट हुए आतंकी संदीप के बारे में सब कुछ
जम्मू कश्मीर में लश्कर तैयबा के आतंकवादी संदीप कुमार शर्मा के मुजफ्फरनगर निवासी होने की जानकारी मिलने से यहां की पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। इंटेलीजेंस सक्रिय हो गई है। संदीप, हालिया नाम आदिल की कुंडली खंगाली जा रही है। संदीप के सरवट की गली नंबर नौ का रहने वाला होने की जानकारी मिलने के बाद इस वक्त पूरे सरवट में पुलिस और इंटेलीजेंस सरवट में उसका घर खोज रही है।
गैर आधिकारिक सूत्रों के अनुसार संदीप कुमार शर्मा संभवत: यहां कुछ लूट की घटनाओं में शामिल रहा हो सकता है। आतंकी गतिविधियों में वेस्ट यूपी का नाम हमेशा ही सुर्खियों में रहा है। बिजनौर, मुजफ्फरनगर, बड़ौत, हापुड़ आतंकवादियों के पनाहगाह माने जाते हैं। मुजफ्फरनगर दंगे के बाद लश्करे तैयबा की हिट लिस्ट में मुजफ्फरनगर और शामली हैं ही। मेवात में तीन आतंकवादी पकड़े जा चुके हैं जिन्होंने दंगे के बाद मुजफ्फरनगर की रेकी की थी।
अभी दो दिन पहले बिजनौर से 1993 के मुंबई ब्लास्ट में शामिल रहने के आरोपी कदीर को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। वह नजीबाबाद के कल्हेड़ी गांव का रहने वाला है और दाउद के संपर्क में रहा। अब मुजफ्फरनगर निवासी संदीप कुमार शर्मा के कश्मीर में पकड़े जाने से वेस्ट में आतंक के गंभीर खतरे पैदा हो गए हैं। संदीप का परिवार खोजने निकल पड़ी पुलिस संदीप कुमार शर्मा ने अपने पिता का नाम रामकुमार शर्मा बताया है।
उसके बारे में मुजफ्फरनगर पुलिस को जो प्रारंभिक जानकारी मिली है उसके अनुसार वह सरवट की गली नंबर नौ का रहने वाला है। पुलिस रामकुमार शर्मा को खोज रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस से संपर्क साधा गया है। वह मुजफ्फरनगर से कब गया, कहां रहा यह उसके परिजन ही बता सकते हैं। फिलहाल पता चला है कि उसने अपना नाम अब आदिल कर रख लिया था और शायद इस्लाम भी कुबूल कर लिया था। वह कब लश्करे तैयबा के संपर्क में आया, इसकी जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है।
अभी दो दिन पहले बिजनौर से 1993 के मुंबई ब्लास्ट में शामिल रहने के आरोपी कदीर को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। वह नजीबाबाद के कल्हेड़ी गांव का रहने वाला है और दाउद के संपर्क में रहा। अब मुजफ्फरनगर निवासी संदीप कुमार शर्मा के कश्मीर में पकड़े जाने से वेस्ट में आतंक के गंभीर खतरे पैदा हो गए हैं। संदीप का परिवार खोजने निकल पड़ी पुलिस संदीप कुमार शर्मा ने अपने पिता का नाम रामकुमार शर्मा बताया है।
उसके बारे में मुजफ्फरनगर पुलिस को जो प्रारंभिक जानकारी मिली है उसके अनुसार वह सरवट की गली नंबर नौ का रहने वाला है। पुलिस रामकुमार शर्मा को खोज रही है। जम्मू-कश्मीर पुलिस से संपर्क साधा गया है। वह मुजफ्फरनगर से कब गया, कहां रहा यह उसके परिजन ही बता सकते हैं। फिलहाल पता चला है कि उसने अपना नाम अब आदिल कर रख लिया था और शायद इस्लाम भी कुबूल कर लिया था। वह कब लश्करे तैयबा के संपर्क में आया, इसकी जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है।
मुजफ्फरनगर एसएसपी अनंतदेव तिवारी ने अभी कुछ और अधिक जानकारी होने से इनकार किया है। उनका कहना है कि लखनऊ से जो आधिकारिक तौर पर जानकारी मिलेगी उसके आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी। खतरा बड़ा है यदि संदीप आतंकी है तो मुजफ्फरनगर के कुछ और भी युवक आतंकी होंगे, इस बात की पूरी आशंका है। माना जा रहा है कि मुजफ्फरनगर में कोई न कोई ऐसा मॉड्यूल सक्रिय है जो यहां के युवाओं को बहका रहा है और लश्करे तैयबा में शामिल करा रहा है।
संदीप का भाई टैक्सी चलाता था
मुजफ्फरनगर एसएसपी अनंत देव तिवारी ने बताया कि संदीप कुमार शर्मा के पिता का नाम रमेश चंद शर्मा है। वह मुस्तफाबाद गांव का रहने वाला है। संदीप दो ढाई साल से घर से बाहर था। इसका भाई प्रवीन हरिद्वार में टैक्सी चलाता है। अभी पिछले दिनों उसने अपने भाई प्रवीन को फोन पर बताया था कि उसे जम्मू कश्मीर में वैल्डिंग का काम मिल गया है। जिस नंबर से फोन किया था वह उसके मकान मालिक का है। परिजनों से पूछताछ की जा रही है। इस बात की पड़ताल की जा रही है कि वह लश्कर तैयबा के संपर्क में कैसे आया।
लश्कर ए तैयबा का शरणगाह मुजफ्फरनगर
वर्ष 1996 में लश्कर का आतंकी पाकिस्तानी नागरिक मो. जकारिया पकडा गया था। इसके बाद से लश्कर के तार लगातार मुजफ्फरनगर से जुडे रहे। दंगे के बाद यहां के युवकों को आतंकवाद में झोंकने के प्रयास आईएसआई ने किए थे।
लश्कर के आतंकी दिल्ली पुलिस ने पकड़े थे जिन्होंने दंगे के बाद मुजफ्फरनगर में युवकों की रेकी की थी। जैश ए मोहम्मद का आतंकी पाकिस्तानी नागरिक मो. वारस भी मुजफ्फरनगर से पकड़ा जा चुका है। जो इस समय उम्रकैद की सजा काट रहा है।
दिल्ली के बटाला हाउस एनकाउंटर के बाद आजमगढ़ से पकडे गए संदिग्ध आतंकियों के तार भी मुजफ्फरनगर से जुड़े मिले थे। एक संदिग्ध आतंकी ने मुजफ्फरनगर में रहकर ही डिप्लोमा लिया था।
वर्ष 1996 में लश्कर का आतंकी पाकिस्तानी नागरिक मो. जकारिया पकडा गया था। इसके बाद से लश्कर के तार लगातार मुजफ्फरनगर से जुडे रहे। दंगे के बाद यहां के युवकों को आतंकवाद में झोंकने के प्रयास आईएसआई ने किए थे।
लश्कर के आतंकी दिल्ली पुलिस ने पकड़े थे जिन्होंने दंगे के बाद मुजफ्फरनगर में युवकों की रेकी की थी। जैश ए मोहम्मद का आतंकी पाकिस्तानी नागरिक मो. वारस भी मुजफ्फरनगर से पकड़ा जा चुका है। जो इस समय उम्रकैद की सजा काट रहा है।
दिल्ली के बटाला हाउस एनकाउंटर के बाद आजमगढ़ से पकडे गए संदिग्ध आतंकियों के तार भी मुजफ्फरनगर से जुड़े मिले थे। एक संदिग्ध आतंकी ने मुजफ्फरनगर में रहकर ही डिप्लोमा लिया था।
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